मानसिक स्वास्थ्य और जीवन में आपकी प्राथमिकताएं
मुझे ऐसा लगता है कि आज के विज्ञापन के युग में सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को इस तरह से तैयार किया गया है कि हर व्यक्ति को किसी चीज की कमतरता/ कुछ कमी के निरंतर भाव को बार-बार महसूस करते रहो। शायद खुश और संतुष्ट लोग आज की निरंतर खरीदारी की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे ग्राहक नहीं हैं।
उदाहरण - वैश्विक विज्ञापन और त्वचा देखभाल उत्पादों के प्रचार अभियान दावा करते हैं कि उनके उत्पादों का उपयोग करने से आपको हमेशा जवान दिखने में मदद मिलेगी और उम्र बढ़ने से रोका जा सकेगा। नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और मोबाइल फोन लगभग हर तीन महीने में लॉन्च किए जाते हैं, जिसके कारण हम विश्वास रखते हैं कि वर्तमान में हम जो उपयोग कर रहे हैं वह अब अप्रचलित है और अगर हम अपग्रेड नहीं करते हैं, तो हम पुरानी चीजों में ही सिमट कर रह जाएंगे और बाकी सभी के पास लेकिन प्रवर्तक (इनोवेटिव) चीजें होंगी। इसमे से ही FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट) यह अवधारणा बन गई है और अब वो काफी मशहूर बन चुकी है। तथ्य यह है कि जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति करने के लिए और अपने आप का एक बेहतर संस्करण (Version) बनना विकास की निशानी है, लेकिन इस प्रक्रिया में हमें अपनी मानसिक भावनाओं के प्रति अधिक जागरूक और जागृत होने की आवश्यकता है।
जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति करना हालांकि यह विकास का संकेत है, इस प्रक्रिया में बहुत से लोग अपनी प्राकृतिक भावनाओं के प्रति बहुत कठोर और असंवेदनशील हो जाते हैं। आपके काम के अधिक घंटे, ऑफिस का माहौल आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है या मन की शांति भंग कर रहा है, तो यह भविष्य में बहुत महंगा हो सकता है। ज्यादातर लोगों को जितना उनके पास है उससे ज्यादा अमीर बनना है; उसमें वे निरंतर गति में व काम में बहुत व्यस्त रहते हैं। मानसिक रूप से लगातार कुछ खोजने की कोशिश करते रहते हैं, बहुत दबाव में, हमेशा सोच और अस्थिर रहते हैं। हमेशा कुछ बेहतर खोजने के लिए लगातार प्रयास करना यह बेशक गलत नहीं है, लेकिन लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से दौड़ते रहना इसलिए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करना अनुचित है। हम जो ढूंढ रहे हैं वो सबकुछ हम क्यों चाहते हैं और यह सब मृगतृष्णा तो नहीं है ना इस पर कभी-कभी चुपचाप बैठकर सोचना जरूरी है।
दुर्भाग्य से अगर आज रात आपकी मृत्यु हो गई तो आपके कार्यस्थल पर किसी नए व्यक्ति की नियुक्ति होगी, संभव है इसमें थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन आपके कार्यस्थल पर कोई न कोई आपकी जगह जरूर भरेगा, लेकिन आपका जाना आपके प्रियजनों, आपके परिवार, आपके प्रियजनों के जीवन में हमेशा एक खालीपन छोड़ जाएगा। आपका जन्म व्यावसायिक जीवन में सफलता, बेशुमार दौलत बटोरना, आसपास के लोगों को महंगे सुख प्रदान करना, बिजली के बिलों का भुगतान, होम लोन चुकाने के लिए क्या यह इस कारण के लिए हुआ था? क्या यह आपके जीवन की अवधारणा है? हम सब जीवन में इतने व्यस्त हैं कि हम जीना भूल गए हैं। हम होम लोन, पर्सनल लोन की ईएमआई, बिजली का बिल चुकाने या घर का किराया चुकाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं। थोड़ा सा रुककर और सांस लेकर अपने जीवन के सुखद क्षणों को महसूस क्या आपको नहीं करना चाहिए? डरिए मत, आप आपके साथ रहोगे। आप कल थे, कल भी रहनेवाले हो।
घड़ी की सुइयाँ यह निर्धारित नहीं करती हैं कि सुबह होगी या नहीं, केवल इतना कि हम सूर्य से अधिक घड़ी पर भरोसा करते हैं। जितना विश्वास घड़ी सुइयाँ पर है, उतना ही अपने आप पर दिखाओ। जब आप गलत चीजों का पीछा करना छोड़ देंगे फिर सही चीजें खुद ब खुद आपकी ओर आकर्षित होंगी।
ऑस्कर वाईल्ड ने कहा था, जीना दुनिया की सबसे दुर्लभ चीज है। ज्यादातर लोग सिर्फ मौजूद होते हैं, जीते नहीं। तो दोस्तों चुनना पूरी तरह से आपको है, क्या आप जीना चाहते हैं या आप सिर्फ जीवित रहना चाहते हैं?
-लेखक श्री रुपेश रा. शुक्ल, माय काउंसलर इंडिया के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं। वह देश के बेहतरीन बिहेवियरल साइकोलॉजी एक्सपर्ट और माइंडसेट ट्रेनर भी हैं।
Harriet Tubman once said, “I freed a thousand slaves, I could have freed a thousand more if only they knew they were slaves.”
It is my personal opinion that Mental Health or Career is a totally inappropriate comparison. Mental Health and Career can both go hand in hand. We must take a moment to slow down our lives and
understand that both Mental Health and Career are important to lead a healthy life.
The whole socio-economical system has been designed in such a way that nobody should truly feel happy because happy and content people will lead to a great financial loss for the entire economy.
For example, Global Advertisements and Publicity Campaigns for Skin Care products claim that the use of their products will always make you look youthful and prevent ageing. Launching of new electronic devices and mobile phones almost every three months is probably to make you believe that what you’re currently using is obsolete, and if you don’t upgrade you will be stuck with it, you will become stagnant and will be left out.
This is where the tremendously famous concept of FOMO (Fear Of Missing Out) arouse. Working hard, making it to the highest point in your career, achieving
work-life balance; isn’t this what almost everyone aspires to do? Realistically speaking upgrading or financially growing in your life and becoming the best version of ‘yourself’ is a sign of development
but in this process, you must be aware of your emotions and mental stability.
Upgrading or financially growing in your life and becoming the best version of ‘yourself’ is great but in this journey, few people become insensitive and ignorant towards themselves and fail to acknowledge their own feelings. If your extra working hours, Toxic Work environment is affecting
your mental health then it may give rise to some serious issues in the future. Most people want to be wealthier than they are; They are constantly in a hustle; Keeping themselves busy persistently. In the
pursuit of always looking for something better, or bigger; people don’t even notice that they are experiencing mental fatigue until it is too late. The quench of wanting something eventually becomes greater than the want itself. There is nothing wrong with finding something better but exhausting yourself mentally and physically is unhealthy.
We should take a moment in our lives to ask ourselves, ‘Whatever I am chasing right now, is it delusional or am I on the right path? If you were to regrettably meet your demise tonight, your employer will find a new replacement for
you. It may take some time, maybe a month or two but eventually, someone will replace you.
However, your loved ones and your family will miss you forever. People are so busy making a living that they have forgotten to live. Were you just born to excel in a professional field, make a living out of it, assume responsibility for your family, earn money, and enable yourself and all your family members to lead a comfortable
life? Are you meant to spend your life paying electricity bills, EMI, and home loan instalments? Is that all; Is this your definition of ‘life’? Do we ever spend a moment of silence with our loss or our
accomplishments? Shouldn’t we take a pause to “feel” the delightful moments of life?
Don’t be afraid, you have yourself covered; you had your back in the past and you will have your back in the future as well. The ticking of the clock does not decide whether it is morning, afternoon, or
evening. You simply trust the clock more than you trust the sun. Try instilling the same degree of faith in yourself because when you stop chasing the wrong things, the right things catch up to you.
Oscar Wild said, “To live is the rarest thing in the world. Most people just exist!"
So, Dear readers, the choice is unreservedly yours, do you want to live or do you want to just exist?
Yours,
Rupesh Ra Shukla
About the author :
Mr Rupesh Ra Shukla is Founder and Managing Director of My Counsellor India. He is also the
Nation’s Finest Behavioural Psychology Expert and Mindset Trainer.
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